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About the history of Mahatma Gandhi -हिंदी में. | The great man of the world, Mahatma Gandhi -हिंदी में.

महात्मा गांधीजी.
Mahatma Gandhi

About the history of Mahatma Gandhi -हिंदी में.

  • मानव जगत में हर कोई इन्सान आज भी इस महान  आत्मा को इतने आदर के साथ याद करती है और हमे हरवक्त उनकी हाज़री का अहसास कराती है।
  • हम सब जानते हैं आत्माको दहला देने वाली घटना घटी दक्षिण अफ्रीका मैं, गांधीजी के साथ।
  • महात्मा गांधीजी को पहला अनुभव डरबन की अदालत में हुवा जब वो हिंदुस्तानी पगड़ी पहनकर अदालत में गए तब जज ने वह पगड़ी उतारनेको कहा और वो महात्मा गांधीजी को मंजूर नहीं था और वो तुरंत ही अदालत की कक्षा छोड़कर बहार चले गए। 
  • और इस बात को अखबारी संस्था ने लिखा "AN UNWELCOME VISITOR".यह घटना घटी २६  मई १८९३  को। 
  • दूसरा अनुभव, जब वो ३१ मई १८९३  को डरबन छोड़ के एक असील का केस लड़ने पिटोरिया ट्रैन से मुसाफरी कर रहे थे तब तक़रीबन रात ९ बजे वहां के गोर लोगो ने उनको ट्रैन से उतरने को कहा और जब गांधीजी ने मन किया तो उन लोगोने जबरन खीचनेकी कोसिस की और वह नहीं माने तो उनको मैरिट्सबर्ग रेल्वे स्टेशन पर धक्का देकर सामान के साथ बहार फेंक दिया गया 
  • गांधीजी पुरी रात वहा एक बेंच पे बैठे रहे और सोचते रहे की क्या करू और न करू क्योंकि उनके आत्मा सन्मान को काफी ठेस पोहंची थी गोरे-काले के भेद के चलते वहाँके प्रमुख क्रुगरे ने एक जाहेरात भी की थी की क्रिश्चियन ईश्वर की अति प्रिय प्रजा है तो काले लोग अपने हककी बाते तो नहीं करे और  आत्मा सन्मान की भी हमसे अपेक्षा  न करे
  • महात्मा गांधीजी ने लिखा है की; "मैंने मेरे कर्तव्य धर्म के बारेमे सोचा और सोचा की मुझे मेरे हक्क के लिए लड़ना चाहिए या फिर मुझे वापस लॉट जाना चाहिए" 
  • ओर फीर जो भी अपमान हुवा वो सहकर पिटोरिया चला जावु.  मेरे पे जो दुख आ पड़ा है वो तो थोड़ा बहुत बाहिया है, किन्तु मेरे अंदर जो माहरोग रंगद्रोह ने प्रवेश किया है उसको यदि नाबूद करनेकी शक्ति यदि मेरे अंदर है तो में केवल उसका उपयोग उस महाव्याधि को नाबूद करेने के लिए ही करूँगा और उस दरमियान यदि जो भी दिक्कत पड़े उसको मुझे सहना पड़ेगा।  
  • यह सोचके महात्मा गांधीजी ने जो जन आंदोलन सुरु किया था उसका इतिहास गवाह है की कैसे उस समय के २४ वर्षीय मोहनदास ने अपनी महात्मा तक की यात्रा प्रारंभ की थी
  • उनको ट्रैन से उतरने को कहा गया था तो खुद नहीं उतरे थे और ऐसे नहीं मानने पर वो गोरो लोगो ने उनपर बलप्रयोग किया था फिरभी वो अपने हाथो से  ट्रैन की खिड़की को पकड़ के रखे रहे जबतक अपने हाथो में बल था आखिर एक क्षणीक विचार आया के अपने आत्मबल की शक्ति के सामने कोई ताकत काम नहीं लगेगी और उसके आगे कोई भी बल नहीं टिक सकता। और सत्य के सामने चालाकी की कोई गुंजाईस नहीं।

M.K.Gandhi

  • गांधीजी का सही नाम था मोहनदास करमचंद गाँधी। लोग प्यार से बुलाना पसंद करते है "बापु, बापुजी, महत्मा गाँधी, M.K. Gandhi और देश आजाद होने पर उनको भारत में "राष्ट्रपिता' - के नाम से सन्मानित किया गया।  वो एक युग पुरुष थे। 
  • महात्मा गांधीजी का जन्म २ अक्टूबर १८६९ को पोरबंदर, गुजरात में हुवा था और महात्मा गांधी का निधन ३० जनवरी १९४८ को हुवा था

The great man of the world, Mahatma Gandhi -हिंदी में.

वो भारत के स्वतंत्र आंदोलन के प्रमुख राजनैतिक और आध्यात्मिक नेता में से एक थे 

वो केवल एक मात्रा स्वतंत्र सेनानी थे जो केवल अहिंसा में विश्वास रखते थे और उसने सहिमे वो आत्मबल से भारत को अंग्रेजोंकी गुलामी में से आजाद करवाया।

महात्मा गांधी के वो तीन बन्दर हमें जीवन की वो सही शीख शिखाते है; वो निम्नलिखित है  

  1. मीजारु बन्दर: जिसने अपने दोनों हाथो से आंख बंध करके रखी है, वो सिखाता है बुरा मत देखो।
  2. कीकाजरु बन्दर: जिसने अपने दोनों हाथोसे कान बंध करके रखा है वो सन्देश देता है की बुरा मत सुनो।
  3. इवाजारु बन्दर: जिसने अपने दोनोहाथो से मुँह बंध करके रखा है वो कहना चाहता है की बुरा मत कहो

कुलमिलाके यह कह सकते है की; " बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो; और बुरा मत कहो

गांधीजी का जीवन ही उनका एक सन्देश था. वो कहते थे की "अपनी गलतियों से ही सबक लेना चाहिए, गलतियों एक झाड़ू की तरह है जो पुरे कमरे को साफ़ करता है ; वैसे ही गलती मेसे से सबक लेने से इन्सान की अंदर की हार बुराइया साफ हो जाती है"

Gandhi Jayanti - 2 October
Mahatma Gandhi

गाँधीजी के नेतृत्वमे  में किये गए जनांदोलन में से प्रमुख निम्नलिखित है 

  1. १९१७ : चम्पारण आंदोलन 
  2. १९१८ : खेड़ा सत्याग्रह 
  3. १९१९ : खिलाफत आंदोलन 
  4. १९२० : असयोग आंदोलन 
  5. १९३० : नमक मार्च -Salt March | दांडी सत्याग्रह - सविनय अवगरना आंदोलन 
  6.  १९४२: भारत छोड़ो आंदोलन

गांधीजी पे बना एक गाना बहुत ही महसुर है; "देदी हमें आज़ादी बिना खड़क बिना ढाल; साबरमति के संत तूने करदिया कमाल, रघुपति राघव राजाराम' 

बापू की पसंदगीका एक भजन है जो बापू हमेशा गुनगुनाया करते थे; "रघुपति राघव राजाराम पतितपावन सीताराम; ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सब को सन्मति दे भगवन;'. यह रामधुन के नाम से भी महसूर है

गांधीजी को मेरा सत् सत् नमन। और  २ अक्टूबर गाँधी जयंती की सबको शुभकामना देता हु

धन्यवाद













































































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